********* जागते... रहो..***********
*******जय श्री राम जी की*******
@@@@@@@@@@@@@@@@
ज्ञानीजन हमेंशा से कहते आये हैं ..कि संसार में ...चौकीदारी अच्छे से करो... और प्रसन्न रहो...
पर हमने कहीं न कहीं ....
स्वयं को चौकीदार नहीं मानकर मालिक मान रखा है...
इसीलिए दुःख, कष्ट ,क्लेश के साथ निरंतर कराहते हुए जी रहे हैं.....
जो कुछ हमने ज्ञान ,विज्ञान ,सामान जिंदगी में जमा किया है कि सुख मिलेगा पर मिल नहीं रहा... क्यों....??
क्योंकि हमने सुख का मतलब दुनियाँ की नकल से जाना......तरीके को नहीं समझा......
यदि सही तरीका.... जो जीवन के वैज्ञानिक (ऋषि) और इंजीनियर (संत)..बताते हैं वो जाना होता तो सुख शांति का दुर्भिक्ष जीवन में नहीं होता......ख़ैर अभी भी देर नहीं हुई है...
एक बात सबको याद रखनी चाहिए... ईश्वरीय अनुशासन व्यवस्था के नियमों से संसार के नियम पूरी तरह विपरित हैं.... इसीलिए दुनियाँ को उलटी दुनियाँ कहा जाता है....
और सुख,शांति, प्रेम, आनंद जो अनंत है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ ईश्वरीय अनुशासन को मानने वाले को ही इस संसार में मिल सकता है..... और संसार में रस मिलने की उम्मीद करने वाले बाकी के लोगों के लिए अंगूर खट्टे ही रहेंगे.......
क्योंकि शांति ,सुख और आनंद तो भगवान के श्री चरणों के सेवक...व ..चाकर हैं........
और इनके विलोम संसार में है.... तो यही तो मिलेगा संसार में......बस खोजते रहो.....
वो हर पल हमको देख रहा है ....
जै रामजी की.....
सबको सन्मति दे भगवान......हरि ॐ तत् सत
No comments:
Post a Comment