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मनुष्य मात्र की नियति है , सकारात्मक होना

Saturday 15 April 2017

👉  आत्मचिंतन के क्षण 15 April 2017

🔵  आध्यात्मिकता मानव आत्मा की एक उन्नत, उत्कृष्ट एवं उत्तम स्थिति है। इस स्थिति को प्राप्त व्यक्ति निर्द्वन्द, निर्विघ्न,निर्भय एवं  निर्मोह हो कर एक स्वर्गीय जीवन यापन करता है। उसे न कभी लोभ होता है और न क्षोभ। निरन्तर निर्विकार एवं निर्विरोध आनन्द का अनुभव करता हुआ वह चिर प्रसन्न रहता है।

🔴  आध्यात्मिकता मानव आत्मा की एक उन्नत, उत्कृष्ट एवं उत्तम स्थिति है। इस स्थिति को प्राप्त व्यक्ति निर्द्वन्द, निर्विघ्न, निर्भय एवं निर्मोह हो कर एक स्वर्गीय जीवन यापन करता है। उसे न लोभ होता है और न क्षोभ। निरन्तर निर्विकार एवं निर्विरोध आनन्द का अनुभव करता हुआ वह चिर प्रसन्न रहता है।

🔵  सर्वश्रेष्ठ मनुष्य वह है जो अटल प्रतिज्ञा के साथ सत्य का अनुसरण करता है, जो आन्तरिक और बाह्य सभी प्रलोभनों का प्रतिरोध करता है, जो भारी से भारी भारों को खुशी से सहता है, जो तूफानों में शान्त रहता है, धमकियों एवं त्यौरियों में निडर रहता है और सत्य, नेकी तथा ईश्वर पर जिसकी निर्भरता सर्वथा अडिग है।

🌹 पं श्रीराम शर्मा आचार्य 🌹

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